पीएम विश्वकर्मा ट्रेनिंग सेंटर लिस्ट 2025: अपने राज्य में कहाँ मिलेगी ट्रेनिंग?

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भारत सरकार द्वारा पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों के उत्थान के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की गई है। इस पहल के तहत पारंपरिक कार्यों से जुड़े लोगों को आधुनिक तकनीकी ज्ञान, वित्तीय सहायता और बेहतर उपकरणों तक पहुंच प्रदान की जाती है। इस लेख में आप जानेंगे कि 2025 में किन स्थानों पर यह सुविधा उपलब्ध है और इसे प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या है।


इस अभियान का उद्देश्य

इसका मुख्य उद्देश्य उन लोगों तक सहायता पहुँचाना है, जो पारंपरिक कौशल में दक्ष हैं, लेकिन संसाधनों के अभाव में अपनी क्षमता का पूरा उपयोग नहीं कर पाते। इस पहल के अंतर्गत उन्हें वित्तीय सहयोग, उन्नत तकनीकी मार्गदर्शन और आधुनिक उपकरण प्रदान किए जाते हैं।


मुख्य लाभ

इस व्यवस्था से जुड़ने वाले लोगों को कई प्रकार की सुविधाएँ दी जाती हैं, जो उनके विकास में सहायक होती हैं।

लाभ का प्रकारविवरण
आधुनिक तकनीकी सीखने का अवसरपरंपरागत कार्यों को आधुनिक रूप में करने का ज्ञान
आर्थिक सहयोगकम ब्याज दर पर वित्तीय सहयोग
उपकरण सहायता₹15,000 तक का संसाधन सहयोग
डिजिटल लेन-देन में बढ़ावाप्रत्येक ऑनलाइन लेन-देन पर आर्थिक प्रोत्साहन

देशभर में उपलब्ध प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या

देश के विभिन्न राज्यों में इस सुविधा के लिए कुल 3,715 स्थानों की स्थापना की गई है।

राज्य का नामकेंद्रों की संख्या
कर्नाटक1,287
महाराष्ट्र816
राजस्थान712
मध्य प्रदेश661
उत्तर प्रदेश653
गुजरात572
असम437
जम्मू और कश्मीर412

अपने क्षेत्र में प्रशिक्षण केंद्र की जानकारी कैसे प्राप्त करें?

यदि आप जानना चाहते हैं कि आपके जिले में यह सुविधा कहाँ उपलब्ध है, तो निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. आधिकारिक पोर्टल पर जाएँ
    • इस सुविधा से संबंधित आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट करें।
  2. सूची अनुभाग का चयन करें
    • मुख्य पृष्ठ पर “सूची” से जुड़ा विकल्प खोजें और उस पर क्लिक करें।
  3. अपना राज्य और क्षेत्र चुनें
    • खुलने वाले नए पृष्ठ में अपने राज्य और जिले का चयन करें।
  4. प्राप्त जानकारी का अवलोकन करें
    • अब आपके सामने आपके क्षेत्र में उपलब्ध सभी प्रशिक्षण केंद्रों की सूची आ जाएगी।

इस प्रक्रिया के लाभ

इस प्रक्रिया के माध्यम से पारंपरिक कारीगरों को निम्नलिखित सुविधाएँ प्राप्त होती हैं:

सेवा का प्रकारविवरण
सीखने का अवसर5-7 दिन का प्रारंभिक प्रशिक्षण एवं 15+ दिन का उन्नत ज्ञान
आर्थिक सहयोग₹3 लाख तक की वित्तीय सहायता
उपकरण सहायता₹15,000 तक का संसाधन सहयोग
डिजिटल लेन-देन में वृद्धिप्रत्येक ऑनलाइन लेन-देन पर अतिरिक्त लाभ

कौन आवेदन कर सकता है?

इस व्यवस्था का लाभ प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण शर्तें पूरी करनी आवश्यक हैं:

  • आयु सीमा 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  • आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • पारंपरिक कारीगरी या शिल्प कार्य से जुड़े व्यक्ति हों।

आवश्यक दस्तावेज

इसमें भाग लेने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:

  1. पहचान प्रमाण (आधार कार्ड, पैन कार्ड)
  2. निवास प्रमाण पत्र
  3. व्यवसाय से संबंधित दस्तावेज
  4. बैंक खाता जानकारी
  5. पासपोर्ट साइज फोटो

सम्बंधित कार्यक्षेत्र

इस सुविधा के तहत 18 पारंपरिक कार्यों को जोड़ा गया है। उनमें से कुछ प्रमुख ये हैं:

कार्य का प्रकारविवरण
बढ़ई (Carpenter)लकड़ी से जुड़ा कार्य
लोहार (Blacksmith)धातु से जुड़े उत्पादों का निर्माण
सुनार (Goldsmith)आभूषण निर्माण
कुम्हार (Potter)मिट्टी के उत्पादों का निर्माण
धोबी (Washerman)कपड़े धोने और इस्त्री करने का कार्य
दर्जी (Tailor)कपड़ों की सिलाई
माली (Garland Maker)फूलों और पौधों से जुड़े कार्य
मछली जाल निर्माता (Fishing Net Maker)मछली पकड़ने के जाल बनाने का कार्य

वर्तमान स्थिति

इस समय विभिन्न राज्यों में कई प्रशिक्षण बैच कार्यरत हैं। कुछ राज्यों की जानकारी निम्नानुसार है:

राज्यकार्यरत बैचों की संख्या
कर्नाटक9,000
गुजरात4,700
राजस्थान3,700
महाराष्ट्र3,300

यह पहल न केवल पारंपरिक कौशल को बनाए रखने में सहायक है, बल्कि इसमें जुड़े लोगों को आत्मनिर्भर भी बनाती है। यदि आप इस सुविधा का लाभ उठाना चाहते हैं, तो जल्द से जल्द अपने क्षेत्र में उपलब्ध प्रशिक्षण केंद्र की जानकारी प्राप्त करें और इसमें भाग लें।

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